Tuesday, 16 April 2019

World Hemophilia Day 2019 :

रॉयल ब्रिटिश डिजीज के नाम से मश्हूर है बीमारी,

जानिए इसका इतिहास और लक्षण

हीमोफीलिया को ब्रिटिश रॉयल डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें खून का थक्का बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 अप्रैल को World Hemophilia Day के तौर पर मनाया जाता है। यह बीमारी अधिकतर पुरुषों में पाई जाती है, जबकि महिलाएं इस बीमारी की वाहक होती हैं। 

Hemophilia में मरीज में खून का थक्का जमाने वाला प्रोटीन फैक्टर आठ नहीं बनता। 10 हजार में एक व्यक्ति को यह बीमारी होती है। इसमें व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। दरअसल इस बीमारी से पीड़ित शख्‍स किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो आसानी से उसका खून बहने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसके जख्म से निकलने वाले खून का थक्‍का नहीं जमेगा। ऐसे में लगातार खून बहने से किसी की भी मौत हो सकती है। इसके अलावा कई बार लीवर, किडनी, मसल्‍स जैसे इंटरनल अंगों से भी रक्‍तस्‍त्राव होने लगता है। 

क्या हैं Hemophilia के लक्षण
चोट लगने पर लंबे समय तक खून बहना
शरीर के किसी भी भाग पर बार-बार नीले चकत्ते पड़ना
सूजन के स्थान पर गर्माहट और चिनचिनाहट महसूस होना
बच्चों के मसूढ़ों अथवा जीभ में चोट लगने पर खून का लंबे समय तक रिसते रहना
शरीर के विभिन्न जोड़ों, विशेषकर घुटनों, एड़ी, कोहनी आदि में बार-बार सूजन।  

ऐसे चला था Hemophilia के बारे में पता
ब्रिटिश रॉयल डिजीज Hemophilia के बारे में उस वक्त पता चला था, जब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के वंशज एक के बाद एक इस बीमारी की चपेट में आने लगे। शाही परिवार के कई सदस्यों के इस बीमारी से पीडि़त होने के कारण ही इसे शाही बीमारी कहा जाने लगा। 

कब शुरू हुआ World Hemophilia Day 
इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1989 से विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई। तब से हर साल 'वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हेमोफीलिया' (डब्ल्यूएफएच) के संस्थापक फ्रैंक कैनेबल के जन्मदिन 17 अप्रैल के दिन विश्व हेमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। फ्रैंक की 1987 में संक्रमित खून के कारण एड्स होने से मौत हो गई थी। डब्ल्यूएफएच एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो इस रोग से ग्रस्त मरीजों का जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है। 

दो तरह का होता है Hemophilia 
हीमोफीलिया दो प्रकार का होता है। इनमें से एक हीमोफीलिया 'ए' और दूसरा हीमोफीलिया 'बी' है। हीमोफीलिया 'ए' सामान्य रूप से पाई जाने वाली बीमारी है। इसमें खून में थक्के बनने के लिए आवश्यक 'फैक्टर 8' की कमी हो जाती है। हीमोफीलिया 'बी' में खून में 'फैक्टर 9' की कमी हो जाती है। पांच हजार से 10,000 पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया 'ए' ग्रस्त होने का खतरा रहता है जबकि 20,000 से 34,000 पुरुषों में से एक के हीमोफीलिया 'बी' ग्रस्त होने का खतरा रहता है।


World Hemophilia Day 2019 : रॉयल ब्रिटिश डिजीज के नाम से मश्हूर है बीमारी, जानिए इसका इतिहास और लक्षण

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